रविंद्र सिंह भाटी के हारने का कारण क्या रहा एक तरफ पूरी कांग्रेस टीम और एक तरफ भाटी
बाड़मेर जैसलमेर बालोतरा लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़े रविंद्र सिंह भाटी का हारने का मुख्य कारण क्या रहा होगा जिसकी वजह एक लाख से अधिक वोट से केसे हरे इसका आज पूरा विश्लेषण करके आपको बताएंगे रविंद्र सिंह भाटी का शरुआती दौर अच्छा रहा पर बीच में कुछ जातिवाद और लोगो को डराने और कार्यकर्ताओं की तानाशाही से कही हद तक फर्क पड़ा इसका मुख्य कारण रहा की चुनवा लड़ने का ऐलान कभी देर से हुआ क्षेत्र लंबा चौड़ा होने से क्षेत्र के कही गांव ढाणियों में पहुंच नही पाना भी सबसे बड़ा कारण रहा जिसका सीधा फायदा कांग्रेस को हुआ
हर विधान सभा में कांग्रेस के मजबूत कार्यकर्ताओं ने जमकर प्रचार प्रसार
किया जिस का भी सीधा फायदा कांग्रेस को हुआ तीन जिलों की आठ विधान सभा से 7 में कांग्रेस का विधान सभा चुनाव में काफी बुरा हाल रहा जिसकी वजह से वह अपनी विधान सभा से चुनाव नही जीत पाए पर कांग्रेस के लिए सजीवनी का काम कर गया पर जिसकी वजह थी की वह चुनाव भरी मतों से जीते
इस चुनाव में मुख्य फैक्टर जातिवाद राहा
लोकसभा चुनाव में मुख्य भूमिका में जातिवाद रहा सबसे बड़ा समुदाय जाट समाज था जिनके पास एक तरफ पूर्व केंद्रीय मंत्री केलास चौधरी था और दूसरी तरफ आरएलपी से कांग्रेस में आए उमेद राम बेनीवाल था बेनीवाल एक दम शांत सभाव के व्यक्ति थे वही आर एल पी का गठबंधन होने से कांग्रेस मजबूत हो गया इसका पूरा साथ निभाने के लिए पूर्व विधायक गुड़ामलानी और राजस्थान सरकार में मंत्री रहे हेमाराम चौधरी पूर्व कैबिनेट मंत्री और पंजाब प्रभारी बायतु विधायक हरीश चौधरी पूर्व विधायक पोकरण कैबिनेट मंत्री साले मोहम्मद चोहटन पूर्व विधायक पदमा राम मेघवाल जैसलमेर पूर्व विधायक रूपा राम धंधे बाड़मेर पूर्व जिला अध्यक्ष फतेह खान हादी परिवार से और वर्तमान जिला अध्यक्ष गफूर अहमद और समस्त कांग्रेस परिवार ने मिलकर मजबूती से चुनाव लडा और जिसका नतीजा कांग्रेस ने दस साल बाद बाड़मेर सीट पर वापिस कब्जा किया जिसका मुख्य कारण रहा जातिवाद जैसलमेर जिले में मुस्लिम बुहुमुल्य के वोटरों को साधने के लिए फकीर परिवार ने बढ़चढ़ कर भाग लिया और मुस्लिम वोट 80/85% वोट कांग्रेस के खाते में गए वही एससी वोटर का बड़ा तबका जैसलमेर में था जिसको कांग्रेस की ओर लाने में रूपा राम धंधे ने पूरा जोर लगाया और 90/95% वोट कांग्रेस के खाते में ले आए वही अगर देखा जाए तो कांग्रेस सबसे कमजोर बालोतरा जिले में रही बालोतरा के दोनो विधान सभा से कांग्रेस काफी पीछे रहा यहां मदन प्रजापति का जादू नही चला तो सिवाना राजपूत महुमुल्य की सीट थी तो वहा से सीधा रूझान भाटी के पक्ष में थे बायतु विधानसभा से दो बारे हारे और जाट बहुमूल्य की सीट होने से कांग्रेस और आर एल पी गठबंधन होने से पूरा माहोल एकल तरफा दिखा वही गुड़ामलानी भी विश्नोई और जाट समाज ने मिलकर एकल तरफा माहोल रखा जिसका भी पूरा फायदा कांग्रेस को मिला चोहटन विधान सभा से हादी परिवार और पूर्व विधायक पदमा राम मेघवाल ने खूब मेहनत की जिसका पूरा फायदा कांग्रेस को मिला वही बाड़मेर पूर्व विधायक मेवा राम जैन शिव से पूर्व विधायक अमीन खान खुलकर भाटी के साथ जरूर थे पर अपने समुदाय के वोटरों को रिझा नही सके जिसका पूरा फायदा कांग्रेस के पक्ष में गया शिव विधान सभा से हरी के हनुमान नाम से प्रसिद्ध फतेह खाने ने विधान सभा चुनाव से लोकसभा चुनाव में खूब मेहनत की एक पूर्व विधायक और एक वर्तमान विधायक होने के बाबजूद भी 1800 वोट की लीड ले सके खासा प्रभाव कांग्रेस के पक्ष में गया
एक तरफ भाटी था तो दूसरी तरफ कांग्रेस की पूरी टीम
विधान सभा चुनाव के बाद कांग्रेस में आपसी कलह होने से लग ऐसा रहा था की इस सीट से कांग्रेस के लिए जितना बोहोत मुस्किल था पर हरीश चौधरी की चालाकी और पूर्व में आपस में लड़ रहे पोकरण पूर्व विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री शाले मोहम्मद और रूपा राम धंधे की आपसी कलह का सुलह करके जैसलमेर में पूरा मामला सेट कर दिया तो वही चुनाव से पूर्व टिकट को लेकर नाराज फतेह खान को जयपुर पीसीसी में ले आकार पार्टी ज्वाइन करवाना भी एक बड़ा कारगर साबित हुआ वही हादी परिवार और पदमा राम में आपसी सहमति करवाकर चुनाव लड़े जिसका पूरा फायदा कांग्रेस को मिला भाटी के पास खुलकर मैदान में आने के लिए खुद के सिवा कोई नही था अपने अकेले दम पर चुनाव का प्रचार किया कही ऐसी जगह थी वहा नही पहुंच पाना भी एक बड़ी चुनौती रही वही विधान सभा चुनाव में लोगो ने बढ़चढ़ कर भाग लिया पर निर्दलीय होने से कुछ खास नहीं कर पाने से जनता को रिझा नही पाए वही भाटी के लिए सबसे बड़ा नुकसान अपने ही समाज के नेता बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव मैदान में थे जिसका कारण रहा 2 लाख 85 हजार वोट बीजेपी के खाते में गए रविंद्र सिंह भाटी को भरोसा था की वो अपने समाज के पूरे वोट लायेगा और मूल ओबीसी के वोट पूरे मिलेंगे पर मोदी के बाड़मेर आने से पूरा खेल खत्म हो गया मूल ओबीसी और अपने समझ के वोट पूरी तरह से अपनी तरफ नही ला पाए जिसका नतीजा एक लाख से भी अधिक वोट से हार का सामना करना पड़ा
कोजा राम हत्या परकर्ण के बाद एस सी समाज था नाराज
आसाडी कोजा राम प्रकरण के बाद चार दिनों तक बाड़मेर में धरने पर बैठकर मेगवाल समाज कोजा राम प्रकरण में न्याय के लिए लड़ रहे थे तो वही दूसरी ओर राजपूत समाज अपने ही समाज के निर्दोष लोगो को बचाने के लिए सर्व समाज महा पडाव रेली का आयोजन किया गया मेघवाल समाज ने उस दिन से गांठ बांध ली की राजपूत समाज के किसी भी नेता के साथ खड़ा नही रहने का निर्णीय ले लिया जिसका बोहोत बड़ा नुकसान हुआ एससी के 2% भी वोट नही मिले भाटी को जिसका सीधा फायदा कांग्रेस को हुआ हालाकि इस बार एससी नेता उदाराम मेगवाल भी एक दम साइलेंट मोड में थे और देखा जाए तो मेघवाल समाज की किसी भी नेता ने खुलकर किसी का समर्थन नहीं किया साइलेंट मोड बनाकर एकल तरफा वोट कांग्रेस के खाते में डाले जिसका सबसे बड़ा कारण रहा कोजा राम परकरण
तीन समाज नही थे भाटी के पक्ष में जो सबसे बड़े वोट बैंक थे
हालाकि ये लिखना भी गवार होगा पर आठ विधान सभा में हमारी टीम ने बार बार घुमाकर सर्वे किया था सबकी एक ही बात सामने आई की भले कोई भी जीते पर भाटी नही जितना चाहिए जिस से लोगो में डर पैदा हो गया था की कही राजपूत समाज उसके ऊपर हावी ना हो जाए इस लिए सबने मिलकर भाटी की तरफ ना जाकर कांग्रेस को मजबूत किया सबसे पहले जाट समाज जो कभी नही चाहता था की भाटी जीते उसके बाद सबसे बड़ा सवाल ये था की मेघवाल समाज भी किसी भी हालत में भाटी को ना जितने की कोशिश में थे वही 90% मुस्लिम समाज भी यही चाहता था की भाटी ना जीते जिसका कारण सबके सामने था और वही हुआ जो ये तीनो समाज चाहते थे एकल तरफा वोट कांग्रेस को मिला और जीत गए
Author: Hakam Bandasar
रिपोर्टर दैनिक भास्कर बाड़मेर