Barmer बाड़मेर में 8 कैदी निकले चिकन पॉक्स के मरीज

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Barmer बाड़मेर में 8 कैदी निकले चिकन पॉक्स के मरीज हॉस्पिटल में करवाया भर्ती, भाटी बोले बंदियों के अधिकारों का भी सम्मान हो आज आवाज नही उठाते तो कुछ दिन बाद 8 कैदी और मर जाते 

Barmer बाड़मेरBarmer बाड़मेर शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी शुक्रवार को बाड़मेर मेडिकल कॉलेज के हॉस्पिटल पहुंचे। वहां पर जेल में चिकन पॉक्स से ग्रसित मरीजों से मुलाकात की और उनके स्वास्थ्य को लेकर जानकारी ली। भाटी ने कहा कि धरना देने के बाद चिकन पॉक्स सहित अन्य बीमारी से ग्रसित कैदियों को हॉस्पिटल में इलाज के लिए लाया गया। इन कैदियों की हालात देखी तो वाकई इनकी स्थिति विकट थी। अब इनको समय रहते इनको इलाज मिल गया इस दौरान रविंद्र सिंह भाटी ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने कहा कि जेल से 10 बंदियों को यहां पर एडमिट करवाया था, इसमें करीब 8 चिकन पॉक्स के मरीज है। इनकी स्वास्थ्य की स्थिति को देखा वाकई इनकी स्थिति विकट थी। समय रहते इनको इलाज मिल गया। मुझे उम्मीद है कि जल्द यह सभी स्वस्थ हो जाएगे। जेल में सभी मरीजों की टीम की ओर से जांच की गई थी। भाटी ने कहा कि अगर धरना नहीं देते तो इन बीमार बंदियों को सही ढंग से इलाज नहीं मिलता। अब इन सभी का इलाज चल रहा है। मुझे आशा है कि वे जल्द ही ठीक होंगे

चिकन पॉक्स ग्रसित जेल बंदियों को गुरुवार शाम को हॉस्पिटल में भर्ती किया गया

भाटी ने कहा कि जेल में बंद कैदियों की कभी किसी ने सुध नहीं ली। किसी ने इनकी बात तक नहीं की। पहली बार सही ढ़ंग से इनको इलाज मिल रहा है। जेल में बंद बंदियों के भी अधिकार है। उन अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए इंसान गलती जरूर करता है उसकी सजा जेल हो गई है जेल में बंद कैदियों को अगर सरकार की गाइडलाइन देखे तो हर समय चेकव होना और दवाई समय पर देने का प्रावधान है जिसका कोई पालन नहीं करता जिसकी वजह से जेल में कैदी मर जाते है मरने के बाद परिजनों को अदालत लेटर भेज देती है और बॉडी शोप देते है ऐसा सिस्टम जनता के लिए उचित नहीं है 

जेल में 150 केदियो की कैपेसिटी में 250 से अधिक कैदी

भाटी ने कहा कि जेल में 150 की कैपेसिटी वाले जेल में 250 बंदियों को जबरदस्ती घुसा कर रखा हुआ है। जेल प्रशासन नैतिकता का धर्म निभाते हुए इस पर कदम उठाना चाहिए। मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में जेल की परिस्थितियों में सुधार आएगा। अलग-अलग जगहों पर बात उठाने की जरूरत पड़ी तो मैं उसको मजबूती से उठाऊंगा प्रशासन को ध्यान देना चाइए 100 कैदी एक्स्ट्रा है उनके लिए कारगर को या तो बढ़ाना चाहिए या फिर कैदियों को अलग अलग जगह शिफ्ट करना चाइए बाड़मेर जिला सबसे बड़ा जिला है जिस में पहले 7 विधान सभा थी अब 4 है तो इतनी पॉपुलेशन है जेल छोटा है जिस में केपिस्टी से यादा कैदी रखना और बीमार होने पर ध्यान नहीं देना उचित नहीं है 

भाटी बोले- धरना नहीं देता तो शायद इन मरीजों को इलाज नहीं मिलता कल को कोई और मर जाता 

 बंदी जय सिंह चिकन पॉक्स से ग्रसित था

मृतक जय सिंह चिकन पॉक्स बीमारी से ग्रसित था। परिजनों का आरोप है कि समय पर इलाज नहीं मिलने से उसकी जेल में बुधवार को सुबह मौत हो गई। परिजनों और समाज के लोगों ने लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ धरना दे दिया। इसके बाद गुरुवार को 10 से ज्यादा मरीजों को हॉस्पिटल लाया गया। 8 मरीजों को भर्ती करवाया था। वहां पर उनका इलाज चल रहा है जो चिकन पॉक्स बीमारी से ग्रस्त है ऐसे ही जेल के अंदर कही कैदी है जिनको बीमार होने पर हॉस्पिटल नही लाया जाता है जिस कारण वह दम तोड देते है जिला प्रशासन की ये आंखे बंद करके बैठे अधिकारियो की लापरवाही है जिस से आए दिन कैदियों की मौत हो जाति है जब जिमेदारी की बात आती है तो कोई जिमेदार नही ऐसे लापरवाह अधिकारियो को तत्कालीन प्रभाव से निलंबित करना ही उचित है समय रहते इनके खिलाफ करवाई नही होना ही सबसे बड़ी मूर्खता है जिसका सिकर कैदी होते है 

जयसिंह मौत मामले में जेलर सस्पेंड, डॉक्टर एपीओ:आईजी, संभागीय आयुक्त, प्रतिनिधि मंडल के बीच चली चार घंटे वार्ता, धरना समाप्त

बाड़मेर जिला कारागृह में हत्या के मामले में न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे एक बंदी की तबीयत बिगड़ने से उसकी मौत हो गई। इसके बाद लोगों ने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाया और कार्रवाई की मांग की। इस दौरान 40 घंटे तक धरना चला। लेकिन गुरुवार रात करीब 10.40 बजे जेलर को सस्पेंड और डॉक्टर को एपीओ करने पर धरना समाप्त हो सका शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी धरने स्थल पर 24 घटे डटकर मुकाबला किया और प्रशासन ने आखिर भाटी की बात माननी पड़ी और जेल में बंद कैदियों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया भाटी पिछले कही सालो से इस बात में वह जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहते है जिसका नतीजा है प्रशासन को मानना पड़ा 

लोकसभा प्रत्यासी उमेदा राम बेनीवाल ने एक्स पर लिखा 

बाड़मेर जेल में हुई कैदी की मौत के मामले के प्रकरण की हर कोई निष्पक्ष जांच हेतु न्यायिक जांच चाहते थे न्यायिक जाँच करके जिम्मेदारों और दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की माँग थी। लेकिन बाड़मेर जिला व पुलिस प्रशासन द्वारा बिना किसी जाँच पड़ताल के न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा चल रही न्यायिक जांच रिपोर्ट आने तक का बगैर इंतजार किए जातीय द्वेषभावना पूर्वक जेलर और चिकित्सक के खिलाफ की गई कार्यवाही दुर्भाग्यपूर्ण व निंदनीय है क्या न्यायाधीश द्वारा प्रक्रियाधीन चल रही न्यायिक जांच रिपोर्ट पर सरकार और प्रशासन को भरोसा नहीं हैं सरकार और प्रशासन का इन प्रकरणों की ओर ध्यान आकर्षित करवाना चाहता हूं –

1.पिछले 13 माह तक बाड़मेर सदर थाना क्षेत्र के सनावड़ा निवासी खरथाराम जाखड़ हत्याकांड के मामले की तत्कालीन एडिशनल एसपी,डिप्टी, SHO सहित जांच अधिकारियों को हत्या करने वालों की पूर्णत: जानकारी और सबूत होने के बावजूद मामले का खुलासा करने के बजाय दबाया गया उच्च अधिकारियों के जानकारी में होते हुए दोषी अधिकारियों पर कार्यवाही न करके बचाया जा रहा हैं।

2. बालोतरा शहर में प्रतापदान चारण पर जानलेवा हमले की घटना को जातीय द्वेष फैलाने की कोशिश की, उसके बाद घटना का खुलासा नहीं किया गया मामले को दबा दिया।

3. 15 दिन पूर्व धनाऊ थाना क्षेत्र के कितनोरिया गांव में जेठाराम मेघवाल के संदिग्ध मौत मामले का भी अब तक पुलिस ने खुलासा नहीं किया।

4. एक साल पहले सिवाना थाना क्षेत्र के मिठोड़ा गांव में आंबसिंह राजपूत के हत्याकांड मामले में पुलिस ने अभी तक कोई खुलासा नहीं किया।

अब प्रशासन द्वारा पिछले कई समय से चुनाव मतदान के दौरान आपराधिक घटनाओं में दोषी अपराधियों पर कार्यवाही करने के बजाय उनको बचाने के लिए ध्यान भटकाकर बेवजह आनन फानन में उच्च अधिकारियों द्वारा बिना जाँच के लगातार जातीय द्वेष भावना के दबाव में दोषियों पर कार्यवाही न करके अपने ही विभाग के निर्दोष अधिकारियों और कार्मिकों के खिलाफ अनुचित निलंबन की कार्यवाही की जा रही है, जो न्यायोचित नहीं हैं। सरकार और प्रशासन के उच्च अधिकारी खुद जानबूझकर शांतप्रिय क्षेत्र में चुनाव परिणाम के दिन से महज कुछ दिन पहले माहौल बिगाड़ना चाहते हैं।

सरकार इस तरीके के अन्यायपूर्ण फैसले को तुरंत रद्द करें अन्यथा इस तरीके के दमनकारी निर्णय के विरुद्ध जनआंदोलन को तैयार रहें

वही पूर्व राज्य मंत्री पंजाब प्रभारी और बायतु विधायक हरीश चौधरी ने एक्स पर लिखा

बाड़मेर में जेल में हुई क़ैदी की मौत के मामले में हमने इस प्रकरण की न्यायिक जाँच करके दोषियों के ख़िलाफ़ कार्यवाही की माँग की थी परंतु बाड़मेर ज़िला व पुलिस प्रशासन द्वारा बिना किसी जाँच पड़ताल के जातीय द्वेषभावना पूर्वक जेलर और चिकित्सक के ख़िलाफ़ जो कार्यवाही की गयी है यह दुर्भाग्यपूर्ण व असहनीय है।
प्रशासन द्वारा पिछले कई समय से बिना जाँच के लगातार जातीय दबाव में कार्मिकों के निलंबन की कार्यवाही की जा रही है।
सरकार इस अन्यायपूर्ण फ़ैसले को तुरंत रद्द करे अन्यथा इस दमनकारी निर्णय के विरुद्ध हम जनआंदोलन करेंगे
Hakam Bandasar
Author: Hakam Bandasar

रिपोर्टर दैनिक भास्कर बाड़मेर

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