Colestol ट्राइग्लिसराइड्स यदि आप यह नहीं जानते तो पूरी जिंदगी दवाओं में ही उलझे रहेंगे
लेकिन जब खाना सड़ेगा तब क्या होगा
खाने के सड़ने पर सबसे पहला जहर जो बनता है वो है यूरिक एसिड (Uric Acid), कई बार आप डॉक्टर के पास जाकर कहते है की मुझे घुटने मे दर्द हो रहा है, मुझे कंधे-कमर मे दर्द हो रहा है तो डॉक्टर कहना चाह रहा है कि आपका यूरिक एसिड बढ़ रहा है आप यह दवा खाओ, वह दवा खाओ यानि पाचन बढाओ इससे यूरिक एसिड कम होगा दूसरा उदाहरण जब खाना सड़ता है, तो यूरिक एसिड जैसा ही एक दूसरा विष बनता है, जिसको हम कहते हैं LDL (Low Density Lipoprotive) यानि खराब कोलेस्ट्रोल (Cholesterol)| जब आप ब्लड प्रेशर (BP) चेक कराने डॉक्टर के पास जाते हैं तो वह कहता है (HIGH BP ) हाई-बीपी है आप पूछोगे कारण बताओ तो वह कहेगा कोलेस्ट्रोल बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है आप ज्यादा पूँछोगे कौन सा कोलेस्ट्रोल बढ़ा हुआ है तो वह कहेगा LDL बढ़ा हुआ है इससे भी ज्यादा एक खतरनाक विष है वह है VLDL (Very Low Density lipoprotive) यह भी कोलेस्ट्रॉल जैसा ही विष है। अगर VLDL बहुत बढ़ गया तो आपको भगवान भी नहीं बचा सकता खाना सड़ने पर जो जहर बनता है उसमे एक और जहर है जिसे हम अंग्रेजी में Triglycerides कहते हैं। जब भी डॉक्टर आपको कहे की आपका “Triglycerides” बढ़ा हुआ है। तो समझ लीजिए शरीर मे विष निर्माण हो रहा है यानि कोई यूरिक एसिड कहे, या कोलेस्ट्रोल कहे, LDL -VLDL कहे तो समझ लीजिए की यह विष है। और ऐसे विष शरीर में 103 है, यह सभी विष तब बनते है जब खाना सड़ता है कोई कहता है मेरा Triglycerides बहुत बढ़ा हुआ है तो एक मिनिट मे समझ जाइये कि आपका खाना ठीक से पच नहीं रहा है कोई कहता है मेरा यूरिक एसिड बढ़ा हुआ है तो एक मिनिट लगना चाहिए समझने मे की खाना पच नहीं रहा है यदि खाना सही से पचकर पूरा धातुवाग्नि व भूताग्नि सही कार्य कर रही है तो कोई भी जहर नहीं बनेगा। यानि खाना पचने पर रस, रक्त, मेद, मज्जा, अस्थि, रज्जु, वीर्य, मल-मूत्र बन रहा है नहीं पचने पर यूरिक एसिड, कोलेस्ट्रोल, LDL- VLDL ट्राइग्लिसराइड्स आदि जहर बन रहा है। यही जहर शरीर में रोगों का घर बनाते है ! पेट मे बनने वाला यह जहर जब ज्यादा बढ़कर खून में मिल जाता है तो खून दिल की नाड़ियो में से निकल नहीं पाता और रोज थोड़ा थोड़ा कचरा जो खून मे इकट्ठा होता रहता है और एक दिन नाड़ी को ब्लॉक कर देता है, जिसे Heart Attack कहते हैं ! तो हमें जिंदगी में ध्यान इस बात पर देना है कि हम जो भी खा रहे हैं वह शरीर मे ठीक से पचना चाहिए। इसके लिए पेट मे ठीक से आग (जठराग्नि) प्रदीप्त होनी ही चाहिए। यानि सभी रोगों का मूल कारण है “मंदाग्नि” इसलिये यह ध्यान रखें क्या खाया, कितना खाया यह महत्वपूर्ण नहीं बल्कि कितना पचाया यह महत्वपूर्ण है। खाना अच्छे से पचे इसके लिए वाग्भट्ट जी ने सूत्र दिया
“भोजनान्ते विषं वारी”
(मतलब खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर पीने के बराबर है ) आपके मन मे सवाल आएगा कितनी देर तक नहीं पीना ??? तो 1 घंटे 48 मिनट तक नहीं पीना अब आप कहेंगे इसका Calculation क्या हैं ?? तो समझ लें जब हम खाना खाते हैं तो जठराग्नि द्वारा सब एक दूसरे मे मिक्स होता है और फिर खाना पेस्ट मे बदलता हैं है ! पेस्ट मे बदलने की क्रिया होने तक 1 घंटा 48 मिनट का समय लगता है उसके बाद जठराग्नि कम हो जाती है ! (बुझती तो नहीं लेकिन बहुत धीमी हो जाती है ) पेस्ट बनने के बाद शरीर मे रस से धातुओं बनने की प्रक्रिया शुरू होती है ! तब हमारे शरीर को पानी की जरूरत होती हैं तब आप जितना इच्छा हो उतना पानी पिये जो बहुत मेहनती लोग (खेत मे हल चलाने वाले, रिक्शा खीचने वाले पत्थर तोड़ने वाले) उनको 1 घंटे के बाद ही रस बनने लगता है उनको घंटे बाद पानी पीना चाहिए अब आप कहेंगे खाना खाने के पहले कितने मिनट तक पानी पी सकते हैं तो खाना खाने के 45 मिनट पहले तक आप पानी पी सकते हैं ! अब आप पूछेंगे इस मिनट का Calculation क्या तो ध्यान रखें पानी पीते ही उसको भी पचकर शरीर के प्रत्येक अंग तक जाने में कई घण्टे लगते है पर अगर पानी बच जाये तो 45 मिनट बाद मूत्र पिंड तक पहुंचता है ! तो पानी – पीने से मूत्र पिंड तक आने का समय 45 मिनट का है ! तो आप खाना खाने से 45 मिनट पहले ही पानी पियें कोलेस्ट्रोल कम करने के उपाय भोजन करके लेटना नहीं है भोजन के कम से कम दो घंटे बाद सोयें भोजन में हमेशा गाढ़ा तेल या देशी शुद्ध घी खाना है, रिफाइंड तेल विल्कुल नहीं खाना
कभी भी विना भूख (सूर्य श्वर चले) लगे भोजन नहीं करना है एक भोजन से दूसरे भोजन के बीच 8 घंटे का अंतर होना चाहिए
40 वर्ष बाद या रात्रि में ज्यादा प्रोटीन का भोजन नहीं करना है।
ज्यादातर रेशेदार भोजन कीजिये
आठ घंटे की पूरी नींद लीजिये
शरीर से मल, मूत्र, पसीना, बलगम, ज्यादा से ज्यादा निकालें। सबसे अधिक 70% तक टॉक्सीन पसीने से निकलता है टॉक्सीन निकालने के लिए प्रतिदिन शारीरिक श्रम या योग प्राणायाम करें लहसुन, अजवाइन, जीरा, अलसी, लौकी तथा गहरे रंग की फल व सब्जियां का सेवन करें अगर आपको किसी बीमारी का इलाज करवाना हो तो आप बीमारी के बारे में बताकर या परेशानी के बारे मे बता कर आयुर्वेदिक औषधियां मंगवा सकते हैं किसी भी जानकारी के लिए या ट्रीटमेंट के लिए आप पहले हमें अपनी प्रॉब्लम व्हाट्सप्प कर दीजिये समय मिलते ही आपको जवाब दिया जायेगा
सभी सुखी और निरोगी रहे तमाम जानकारी के लिए ड्रा रोहित गुप्ता जी से व्हाट्सएप पर बात करे
7906873221

Author: Hakam Bandasar
रिपोर्टर दैनिक भास्कर बाड़मेर